पश्चिम बंगाल में सेना की तैनाती का मुद्दा तूल पकड़ा जा रहा है। शुक्रवार को विपक्ष ने लोकसभा में सेना की तैनाती मुद्दे पर केन्द्र सरकार से विवरण मांगा। विपक्ष के इन आरोपों को खारिज करते हुए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि यह एक नियमित सैन्य अभ्यास का हिस्सा था और विपक्ष इसे बेवजह तूल दे रहा है।
उन्होंने कहा कि सेना की तैनाती के बारे में राज्य सरकार को पूर्व में सूचना नहीं दी गई। पर्रिकर ने कहा कि यह सेना का नियमित अभ्यास था, जो बीते 15-20 सालों से होता रहा है। यह अभ्यास पिछले साल भी 19-21 नवंबर को आयोजित किया गया था।
रक्षा मंत्री ने कहा कि इस साल भी पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्यों में ये सैन्य अभ्यास आयोजित किए जा रहे हैं। इसके साथ ही यह उत्तर प्रदेश और झारखंड में भी किया गया।
उन्होंने कहा कि पहले फैसला लिया गया था कि सैन्य अभ्यास 28-30 नवंबर के बीच होगा। लेकिन राज्य की पुलिस ने 28 नवंबर को बंद की वजह से इसकी तारीख बढ़ाने का अनुरोध किया। इसलिए सैन्य अभ्यास के लिए एक दिसंबर से तीन दिसंबर की तिथि निर्धारित की गई।
पर्रिकर ने कहा कि यह दुखद है कि नियमित अभ्यास को अब विवाद बना दिया गया है। इसका राजनीतिकरण करना गलत है। सही पहलू उजागर करने की बजाय यह हताशा में की गई राजनीति है।
इससे पूर्व सदन में प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष के तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि राज्य सरकार को अंधेरे में रखकर सेना की तैनाती की गई।
इसका जवाब देते हुए कहा कि सेना को उस राष्ट्रीय राजमार्ग के टोल प्लाजा पर भी तैनात किया गया, जो सचिवालय से महज 500 मीटर की दूरी पर है।
स्रोत- आईएएनएस
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