केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने शुक्रवार को नई दिल्ली में जैविक खेती की महत्ता को बताते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन के फौरी खतरे के मद्देनजर जैविक खेती का महत्व कई गुना बढ़ गया है।
जैविक खेती के बढ़ते महत्व को देखते हुए सरकार ने देश में राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन के तहत जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) और जैविक मूल्य संवर्धित विकास योजनाएं शुरू की हैं।
राधा मोहन ने दिल्ली के विज्ञान भवन में जैविक खेती पर आयोजित एक कार्यशाला में उपस्थित लोगों को पंडित दीन दयाल उपाध्याय उन्नत कृषि शिक्षा योजना के बारे में भी जानकारी दी।
मंत्री ने योजना के बारे में जानकारी देते हुए कहा, ‘परंपरागत कृषि विकास योजना ऐसी पहली विस्तृत योजना है, जिसे केन्द्र द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम के रूप में शुरू किया गया है। इस योजना का कार्यान्वयन राज्य सरकारें कर रही हैं, जिसका आधार प्रत्येक 20 हेक्टेयर खेत को निर्धारित किया गया है और इसके संबंध में क्लस्टर बनाए गए हैं। क्लस्टरों के तहत किसानों को अधिकतम एक हेक्टेयर जमीन के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है और भारत सरकार ने तीन वर्ष की निर्धारित अवधि के दौरान प्रत्येक हेक्टेयर भूमि के लिए 50,000 रुपये निर्धारित किए हैं। इस संबंध में 10,000 क्लस्टरों का लक्ष्य रखा गया है, जिसके दायरे में दो लाख हेक्टेयर का रकबा निर्धारित है।’
सिंह ने कहा, ‘कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए केन्द्रीय क्षेत्रीय योजना- जैविक मूल्य संवर्धित विकास योजना शुरू की है। यह योजना 2015-16 से 2017-18 के दौरान अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा में कार्यान्वित की जाएगी। इसके संबंध में पूर्वोत्तर क्षेत्र के किसानों की क्षमता को ध्यान में रखा जाएगा।’
उन्होंने कहा, ‘योजना का उद्देश्य वास्तविक जैविक उत्पादों को मूल्य संवर्धित आधार पर विकसित करना है। इसके तहत उपभोक्ता बीज प्रामाणीकरण, प्रसंस्करण आदि गतिविधियों से जुड़ सकेंगे। सम्पूर्ण मूल्य संवर्धित विकास के लिए सहायता दी जाएगी।’ उन्होंने कहा कि योजना के लिए तीन वर्ष की अवधि के संबंध में 400 करोड़ रुपये को मंजूरी दी गई है।
मंत्री ने कहा, ‘कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय उन्नत कृषि शिक्षा योजना के नाम से एक नई योजना शुरू की है ताकि भारतीय युवाओं की प्रतीभा को खोजा जा सके। ग्रामीण भारत के समग्र विकास के लिए यह योजना शुरू की गई है। इस योजना का कार्यान्वयन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि शिक्षा प्रखंड द्वारा किया जा रहा है।’
सिंह ने गंगा नदी के किनारे जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के संबंध में जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के बीच हुए समझौते का उल्लेख किया। इस योजना के तहत परंपरागत कृषि विकास योजना के परिप्रेक्ष्य में 1657 क्लस्टरों के तहत विकास और गंगा के किनारे उत्तराखंड से लेकर पश्चिम बंगाल तक 1657 ग्राम पंचायतों में चलने वाली नामामि गंगे परियोजनाओं के आधार पर एक जैविक खेती प्रणाली विकसित की जाएगी।
श्रोतःआईएएनएस
|
Comments: