बिहार के शराब बंदी कानून को बरकार रखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने पटना उच्च न्यायालय के फैसले को नकार दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह फैसला बीते महीने की तीस तारिख को शराब बंदी कानून के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय के फैसले पर बिहार सरकार की अर्जी पर सुनाया गया।
गौरतलब है कि पटना न्यायालय द्वारा बिहार के शराब बंदी कानून को अवैध ठहराये जाने के बाद बिहार सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने की बात कही थी । काफी समय से विवदों मे घिरी बिहार सरकार के लिए सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला एक जीत के तौर पर देख रही है।
सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार में शराबबंदी को रद्द करने वाले पटना उच्च न्यायालय के फैसले पर शुक्रवार को रोक लगाते हुए न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की पीठ ने जवाब देने के लिए प्रतिवादियों को छह सप्ताह और बिहार सरकार को चार सप्ताह का समय दिया।
शीर्ष अदालत की पीठ ने बिहार सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाई। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 10 सप्ताह के बाद करने का निर्देश दिया।
पिछले कई दिनों से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की शहाबुद्दीन की रिहाई को लेकर किरकरी हो ही रही थी कि पटना हाईकोर्ट ने एक और झटका दिया है। विधानसभा चुनाव में प्रमुख एजेण्डे में शामिल बिहार में पूरी तरह से शराब बंदी का मामला काफी सुर्खियों मे रहा था। विधानसभा से बिल पारित कर बिहार को शराबबंदी को नीतीश सरकार की बडी उपलब्धि माना गया था।
पटना हाइकोर्ट के बिहार में शराब बंदी को गैरकानूनी ठहराये जाने के फैसलेे ने नीतीश की इस बड़ी उपलब्घि पर पानी फेर दिया था। जैसा के चुनावी वादे में नीतीश ने बिहार की महिलाओं से शराब को पूूरी तरह से बंद कराने का वादा किया था। सरकार मे आने के एक साल बाद नीतीश ने भारी आलोचनाओं और शराब निर्माताओं के विरोध के बावजूद सख्ती से इस कानून को लागू करवाया था।
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