भारतीय सेना द्वारा 28 सितम्बर को पाकिस्तान सीमा में घुसकर किये गये सर्जिकल स्ट्राइक पर अब हमारे देश में भी राजनीति गरमाने लगी है।
पहले तो पाकिस्तान की सरकार ने इसे फर्जी करार देते हुए सिर से खारिज कर दिया था। फिर हाल ही में युएन के सैन्य पर्यवेक्षक प्रभाग ने भी इस तरह की किसी भी कार्यवाही के साक्ष्य मिलने से इंकार कर दिया था ।
अब भारत में भी विपक्ष और अन्य राजनैतिक दलों ने सर्जिकल स्ट्राइक की विश्वसनियता पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिये हैं। इस मुद्दे पर अब सरकार भी चारो तरफ से घिरने लगी है।
कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने मंगलवार को सर्जिकल स्ट्राइक को फर्जी करार देते हुए भारतीय जनता पार्टी पर इससे राजनीतिक लाभ उठाने का आरोप भी लगाया।
निरुपम ने ट्वीट कर कहा, ’ भारत पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक चाहता है, लेकिन भाजपा द्वारा राजनीतिक लाभ उठाने के लिए फर्जी सर्जिकल स्ट्राइक नहीं। ’
कांग्रेस के शीर्ष नेता दिगविजय सिंह ने भी सरकार से साक्ष्य मांगते हुए कहा है कि उन्हे सेना पर पूरा विश्वास है लेकिन अगर पाकिस्तान इसे फर्जी करार दे रहा है और यूएन भी इसे मानने को तैयार नही है तो सरकार को इसके साक्ष्य देने चाहिए ताकि इन्हे करारा जवाब मिले।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने भी केन्द्र सरकार से पाकिस्तान द्वारा सर्जिकल स्ट्राईक पर फैलाए जा रहे झूठे प्रचार का पर्दाफाश करने का आग्रह किया।
सरकार की ओर से बचाव मे उतरे केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संवाददाताओं से कहा कि इस तरह के मामलों में पूरे देश और नेताओं से पार्टी लाइन से परे जाकर एक आवाज में बोलने की उम्मीद की जाती है, लेकिन केजरीवाल की टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण और पीड़ादायक है।
प्रसाद ने कहा, केजरीवाल जी पाकिस्तानी मीडिया द्वारा प्रचारित सर्जिकल स्ट्राइक के नहीं होने की बात को नकारने के लिए भारत सरकार से इसका सबूत देने को कह रहे हैं। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि वह भारतीय सेना की क्षमता में विश्वास करते हैं या नहीं।
उन्होंने कहा, आज पाकिस्तान पूरी तरह से अलग-थलग पड़ा है। यह हमारी कूटनीति की जीत है, लेकिन ये सब नहीं देखते हैं और सवाल उठाते रहते हैं।
प्रसाद ने कहा कि नेताओं को भारतीय सशस्त्र बलों के मनोबल को गिराने वाली टिप्पणियों से बचना चाहिए।
(श्रोतःआईएएनएस)
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