श्रीनगर, 15 अक्टूबर (आईएएनएस)| एमनेस्टी इंटरनेशनल, न्यायविदों के अंतर्राष्ट्रीय आयोग और ह्यूमैन राइट वाच ने शनिवार को जम्मू एवं कश्मीर के प्राधिकारियों से बिना मुकदमा चलाए लोगों को हिरासत में रखने के लिए लोक सुरक्षा कानून (पीएसए) का इस्तेमाल बंद करने को कहा। तीनों संगठनों ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा, "कश्मीर में बच्चों समेत करीब 400 लोगों को गिरफ्तार करने के लिए पीएसए का इस्तेमाल किया गया है।"
बयान के अनुसार के अनुसार, पीएसए अंतर्राष्ट्रीय यथोचित प्रक्रिया मानकों का उल्लंघन करता है और इसे समाप्त कर देना चाहिए।मीडिया में आई खबरों के अनुसार, पीएसए एक प्रशासनिक निरोध कानून है जो कुछ मामलों में बिना किसी आरोप या बिना मुकदमा चलाए दो वर्षो तक हिरासत में रखने की इजाजत देता है।उन्होंने बताया, "साल 2012 में संशोधन के बाद कानून के तहत 18 वर्ष से कम उम्र के किसी किशोर को गिरफ्तार करना निषिद्ध है।"न्यायविदों के अंतर्राष्ट्रीय आयोग (आईसीजे) के एशिया निदेशक सैम जरीफी ने कहा, "लोगों, खास तौर पर बच्चों को हिरासत में रखने के लिए पीएसए का इस्तेमाल मानवाधिकार की एक श्रृंखला का उल्लंघन करता है और हाल के सप्ताहों में इसके बढ़ते उपयोग कानून के शासन को नजरंदाज करता है तथा आगे कश्मीर में दंडमुक्ति के मार्ग को अवरुद्ध करता है।"बयान में कहा गया कि पुलिस को पीएसए का इस्तेमाल बंद करना चाहिए। अगर लोगों पर अपराध करने का संदेह है तो उनके खिलाफ उचित तरीके से आरोप लगाना चाहिए और मामले की निष्पक्ष सुनवाई होनी चाहिए।बयान में कुछ उदाहरण भी दिए गए कि पीएसए के तहत कई कश्मीरी किशोर हिरासत में लिए गए, जबकि कम उम्र के कारण उन पर यह कानून नहीं लगाया जा सकता।बयान के अनुसार, प्रदर्शनों के दौरान हिंसा पर ध्यान देना सरकार की जिम्मेवारी है, लेकिन बिना आरोप के अनिश्चितकाल के लिए लोगों को हिरासत में रखना अराजकता को बढ़ावा देता है। पीएसए के तहत बच्चों को हिरासत में लेना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि वर्षो तक इसकी नकारात्मक प्रतिक्रिया हो सकती है।बयान में कहा गया कि पीएसए में अस्पष्ट और बड़े व्यापक संदर्भ हैं, जैसे 'राज्य की सुरक्षा' और 'सार्वजनिक व्यवस्था', जिन्हें ठीक ढंग से पारिभाषित नहीं किया गया है और इसलिए यह अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत वैधानिक जरूरतों को पूरा नहीं करता है।"पीएसए हिरासत की न्यायिक समीक्षा की अनुमति नहीं देता है। यह किसी कार्य या नेकनीयती से काम करने के इरादा के लिए अधिकारियों को कानूनी प्रक्रियाओं से संरक्षित भी करता है, जो मनमाने ढंग से हिरासत के लिए उपाय के अधिकार या अन्य मानवाधिकारों के उल्लंघन के साथ मेल नहीं खाता है।"बयान के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चों पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य किशोर न्याय मानकों के अनुरूप मुकदमा चलाया जाना चाहिए।--आईएएनएस
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