नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)| 'कंज्यूमर वॉयस' नामक स्वयंसेवी कार्रवाई समूह ने रविवार को वस्तु एवं सेवाकर (जीएटी) परिषद से आग्रह किया कि वह सभी तरह के तंबाकू उत्पादों पर सबसे अधिक 40 प्रतिशत 'पाप कर' लगाए।
उसने यह भी कहा है कि इन उत्पादों में सिगरेट, बीड़ी और धुआं रहित तंबाकू शामिल किए जाएं। 'कंज्यूमर वॉयस' के मुताबिक, इस कदम से तंबाकू का इस्तेमाल करने वालों और इसके लती विशेष तौर पर गरीबों और देश के युवाओं को हतोत्साहित करने में मदद मिलेगी।
इस समूह ने कहा है कि वस्तु एवं सेवाकर (जीएटी) जैसा एक व्यापक आर्थिक सुधार सरकार को तंबाकू पर एक समान दर से सर्वाधिक 40 प्रतिशत कर लगाने और तंबाकू जनित बीमारियों से लाखों भारतीयों की जान बचाने का एक अनोखा अवसर देता है।
'कंज्यूमर वॉयस' ने एक बयान में कहा है, "यह दुनिया भर में साबित हो चुका है कि तंबाकू की खपत कम करने का सीधा और सबसे प्रभावी तरीका कर लगाकर तंबाकू उत्पादों का मूल्य बढ़ा देना है।
"बयान में कहा गया है, "अधिक कर विशेष तौर पर युवाओं, गर्भवती महिलाओं और कम आय वाले धूम्रपान करने वालों के बीच तंबाकू का सेवन घटाने में प्रभावी है।
"इस समूह ने कहा है कि हर साल करीब 10 लाख लोग तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से भारत में मरते हैं। हर साल भारत में तंबाकू से दो-तीन लाख मुंह और गले के कैंसर के नए मामले आते हैं, जो दुनिया की बीमारी का छठा सबसे बड़ा बोझ है।
बयान में कहा गया है, "तंबाकू से जुड़ी बीमारियों पर कुल प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष खर्च वर्ष 2011 में 1.04 लाख करोड़ रुपये या कहें तो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.16 प्रतिशत था।
देश के स्वास्थ्य पर कुल खर्च का करीब 21 प्रतिशत अकेले तंबाकू से जुड़ी बीमारियों पर खर्च होता है।"'कंज्यूमर वॉयस' के मुख्य संचालन अधिकारी आशिम सान्याल के अनुसार, सिगरेट, बीड़ी, पान मसाला, खनी और जर्दा जैसी चीजों पर अधिक कर लगाकर इन नुकसानदेह चीजों के उपभोग के प्रति हतोत्साहित किया जाना चाहिए।
जीएसटी के तहत बीड़ी पर भी अन्य तंबाकू उत्पादों के बराबर ही कर लगाया जाना चाहिए।
--आईएएनएस
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