विपक्ष के नेता ने विधान सभा में बजट पर चर्चा के दौरान सरकार से तीखे सवाल पूछ कर उसे सच्चाई का आईना दिखाया
नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने आज विधान सभा में उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के वर्ष 2017-18 के बजट भाषण का जबाव देते हुए सरकार से अनेक तीखे सवाल पूछे जिनके चलते उप-मुख्यमंत्री बगले झांकते नजर आये । बजट की मूलभुत अवधारणा ‘‘आउटकम बजट’’ पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए उन्होंने कहा कि सारा बजट खंगालने के बाद भी उन्होंने पाया कि आउटकम बजट का कोई दस्तावेज सरकार के बजट प्रस्तावों का हिस्सा नहीं है । उन्होंने मुख्यमंत्री केजरीवाल की पुस्तक ‘‘स्वराज’’ को विधान सभा में लहराते हुए सरकार से पूछा कि मोहल्ला सभाएं दो वर्ष बीत जाने के बाद क्यों अस्तित्व में नहीं आईं । उन्होंने सरकार से पूछा कि सरकार ने शिक्षा पर दोगुना और स्वास्थ्य पर जो डेढ़ गुना खर्च करने का दावा किया था । यह दावा आधारहीन पाया गया । उन्होंने कहा कि यह बढ़ोत्तरी वर्ष-प्रतिवर्ष 15 से 18 प्रतिशत मात्र ही रही है ।
विपक्ष के नेता ने सरकार से पूछा कि आम आदमी पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में किये गये सारी दिल्ली में वाय-फाई उपलब्ध कराने के वादे का क्या हुआ । उन्होंने सरकार से जबाव मांगा कि सीसीटीवी कैमरे लगाने के प्रस्ताव का क्या हुआ । उन्होंने पूछा कि नोटबंदी से क्यों दिल्ली और पश्चिम बंगाल में राजस्व में कमी आईं ? उन्होंने सरकार से यह भी पूछा कि सरकार ने न्यूनतम वेतन पर उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगाने पर सदन को क्यों नहीं विश्वास में लिया ? उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि सरकार अनुसूचित जाति वर्ग लोगों के साथ अन्याय कर रही है, क्योंकि कुल बजट का 0.9 प्रतिशत ही उनके कल्याण पर खर्च होता है, जबकि अन्य अधिकांश राज्यों में 4 प्रतिशत से अधिक व्यय होता है । उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि सरकार लगातार घाटे का बजट पेश कर रही है । कुल बजट का 80 प्रतिशत वेतन तथा अन्य प्रशासिक कार्यों पर व्यय हो रहा है । मात्र 20 प्रतिशत ही विकास कार्यों पर व्यय हो पाता है ।
विपक्ष के नेता ने कहा कि सरकार ने इस वर्ष आउटकम बजट का नया शगुफा छोड़ा है । कहा गया है कि भारत में ऐसा बज़ट पहली बार पेश किया गया है । उन्होंने कहा कि इस बात का खास ख्याल रखा गया है कि तय किये गये संकेतक विशिष्ट हों, मापने योग्य हों और इसी तरह की योजनाओं आदि से तुलना करने योग्य हों । उप-मुख्यमंत्री के अनुसार आउटकम बजट के माप-दण्ड पहले से ही तैयार कर लिए गए थे । उन्होंने कहा कि सारा बजट खंगालने पर भी कहीं वो माप-दण्ड दिखाई नहीं पड़े । उन्होंने कहा कि सरकार टाईमफ्रेम वर्क बजट लेकर आती तो बेहतर होता क्योंकि इससे पूरे वर्ष माॅनिटरिंग की जा सकती थी ।
विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि अरविन्द केजरीवाल अपनी पुरस्तक ‘‘स्वराज बजट ’’ में दिखाये गये सपनों को भूल चुके हैं, वे जनता की भागीदारी को भूल चुके हैं । उन्होंने गत दो वर्षों में मोहल्ला सभाओं के नाम पर 603 करोड़ रू0 आवंटित किये परंतु, खर्च एक पैसा भी नहीं हुआ । यहां तक कि मोहल्ला सभाएं बनाने तक की बात भी नहीं हुई । वर्ष 2017-18 के बजट में सरकार ने इस अवधारणा का त्याग ही कर दिया है ।
विपक्ष के नेता ने कहा कि उप-मुख्यमंत्री ने नोटबंदी के कारण राज्य के आर्थिक परिदृश्य में अंतिम चार महीनों में काफी नाकारात्मक रूझान देखने की बात की । परंतु, आंकड़े देते हुए विजेन्द्र गुप्ता कहा कि दिल्ली और पश्चिम बंगाल को छोड़कर अन्य सभी राज्यों में कर वसूली में आशातीत वृद्धि हुई । उन्होंने वित्त मंत्री से कहा कि वे इस बात की जांच करवायें कि ऐसा क्यों हुआ ? सरकार में तो पुराने नोट स्वीकार किये जा रहे थे । दिल्ली में नवम्बर 2015 में 1580.89 करोड़ रू0 प्राप्त किये गये जबकि नवम्बर 2016 में 1837.94 करोड़ रू0 प्राप्त किये गये । इस प्रकार यह आय तथापि 16.26 प्रतिशत अधिक थी ।
विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में दोगुने तथा स्वास्थ्य के क्षेत्र में डेढ़ गुना खर्च करने के दावे भ्रामक है । वर्ष 2014-15 में शिक्षा पर वास्तव में 5197 करोड़ रू0 व्यय किये गये । यह कुल बजट 30940 करोड़ रू0 का 16.80 प्रतिशत था । वर्ष 2015-16 में 6208 करोड़ रू0 व्यय किये गये, जोकि कुल बजट 35196 करोड़ रू0 का 17.63 प्रतिशत था । वर्ष 2016-17 के लिए अनुमानित बजट 7656 करोड़ रखा गया, यह कुल बजट 41200 करोड़ रू0 का 18.50 प्रतिशत था ।
विपक्ष के नेता ने कहा कि शिक्षा का बजट दोगुने करने की सरकार के दावे झूठे हैं । उन्होंने कहा कि सरकार ने शिक्षा के व्यवसायीकरण, दाखिले की प्रक्रिया को संविधान संवत तथा शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए कुछ नहीं किया है ।
स्वास्थ्य के लिए बजट को दोगुना करने के वादे भी तथ्यों से परे हैं । उन्होंने कहा कि वर्ष 2014-15 में सरकार ने स्वास्थ्य पर 3116 करोड़ रू0 व्यय किये, जो कुल बजट का लगभग 10 प्रतिशत था । वर्ष 2015-16 के वास्तविक आंकड़ों के अनुसार सरकार ने इस मद में 3300 करोड़ रू0 व्यय किये, जोकि कुल बजट का लगभग 9.3 प्रतिशत था । वर्ष 2016-17 में सरकार के संशोधित अनुमान 4059 करोड़ रू0 हैं, जो कि कुल बजट का लगभग 9.8 प्रतिशत है ।
विपक्ष के नेता ने सरकार से पूछा कि सरकार बतायें कि वह कैसे दावा कर रही है कि उसने स्वास्थ्य पर व्यय को डेढ़ गुना कर दिया है ?
सरकार केन्द्र सरकार के असहयोगपूर्ण रवैये को कोसती रही है । यदि हम आंकड़ो पर नजर डाले तो हम पाते हैं कि केन्द्र सरकार ने दिल्ली सरकार को उसकी अपेक्षा से अधिक राशि प्रदान की है । वर्ष 2014-15 में वास्तविक अनुदान तथा योगदान राशि 2348 करोड़ रू0 थी । दिल्ली सरकार ने इसे बढ़ाकर 2777 कर दिया । परंतु, केन्द्र सरकार ने वास्तव में 4258 करोड़ रू0 की राशि प्रदान की, जोकि सरकार द्वारा आंकी गयी राशि से 51 प्रतिशत अधिक है । सरकार ने वर्ष 2016-17 के लिए केन्द्र सरकार से 3870 करोड़ रू0 की राशि को बढ़ाकर 4036 करोड़ रू0 की राशि प्राप्त होने का अनुमान लगाया है । इस प्रकार हम देखते हैं कि केन्द्र सरकार दिल्ली सरकार को नियमित रूप से अधिक से अधिक और यहां तक की उसकी आशाओं से अधिक राशि जारी कर रही है ।
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