हिन्दुस्तान टाइम्स के दो दिवसीय सम्मेलन में शिरकत करने आए नोबेल पुरस्कार विजेता व अमेरिकी अर्थशास्त्री पाॅल क्रुगमैन ने बीते दिन शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नाटीबंदी फैसले को अमान्य ठहराया है। उन्होंने कहा कि यह कदम तब बेहतर होता जब उच्च मूल्य के नोट न आते।
यहां आयोजित कार्यक्रम में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए क्रुगमैन ने कहा कि भारत सरकार की ओर से उठाए गए नोटबंदी फैसला लागत घटाने के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन इससे कोई महत्वपूर्ण लाभ होगा, यह संभव नहीं है।
नोटबंदी का एक शब्दों में विश्लेषण करते हुए क्रुगमैन ने कहा कि इस फैसले का अगर एक शब्दों में विश्लेषण करना हो तो वो अमान्य कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि यह नगदी की अवैध तादाद की समस्या से निपटने के लिए उठाया गया अत्यधिक विघटनकारी कदम है। क्योंकि यह स्पष्ट नहीं है कि लंबे समय से इससे क्या महत्वपूर्ण फायदा होगा।
नोबेल विजेता ने कहा कि यह एक अच्छा मामला हो सकता था कि उच्च मूल्य के नोट बंद कर दिए जाते, क्योंकि उच्च मूल्य के नोट किसी वैध उद्देश्यों को पूरा नहीं करते हैं।
उन्होंने कहा कि यहां वास्तव में अच्छी बात यह है कि उच्च मूल्य के नोट आधुनिक अर्थव्यवस्था में बुरी चीज है, क्योंकि यह किसी वैध उद्देश्यों को पूरा नहीं करते।
क्रुगमैन ने कहा कि लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ। उच्च मूल्य वाले नोट नहीं हटाए गए। ऐसा प्रतीत होता है कि यह केवल अवैध नगदी निकालने के लिए एक बार किया गया प्रयास है।
उन्होंने कहा कि एक साल बाद भी चीजें वहीं की वहीं रहेंगी। क्योंकि काला धन रखनेवाले लोग कोई न कोई तरीका निकाल लेंगे।
उन्होंने आगे कहा कि इससे काला धन रखने वाले सतर्क हो जाएंगे और वे भविष्य में अपने धन को बेहतर और बारीक तरीके से ठिकाने लगाएंगे। यह समस्या कहीं अधिक गहरी है और इसका इलाज भी काफी मुश्किल है। भारत एक कम आय वाला देश है तो यहां आयकर भी उसी हिसाब से इकट्ठा होगा। वास्तविकता यह है कि कई विकसित देशों में लोग कर चोरी करते हैं।
अमेरिका के मौजूदा हालात पर ध्यान दिलाते हुए क्रुगमैन ने कहा कि कर संग्रहण के मामले में अमेरिका का रिकार्ड सबसे अच्छा है, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद स्थिति बदलने वाली है।
स्रोत- आईएएनएस
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